( तर्ज - दिल में ही नहीं जब शांत )
शुभ मंगलदायी तिरंगा यह ,
नवभारत भाग्य सुभाग्य करे ।
सब आय मिले इसके रंग में ,
नित्य सत्य अहिंसा बोध झरे ॥ टेक ॥
है त्याग मरा केशरिया में ,
अरु शुभ्र सरल चारित्र्य धरे ।
हरियाली भरे हर चीज हुं में ,
सौंदर्य भरे सब क्लेश हरे ॥ १ ॥
अति सत्य छिपा रहता जिसमें ,
बिन शस्त्र भी छेद अचूक करे ।
नील चक्र सुशोभित मध्य जडा ,
वह शान्ति सदाहि प्रदान करे || २ ||
हो अचल अमर इस भारत में ,
कर विश्व विजय तप त्याग भरे ।
यह द्योतक हो मुलका कुलका ,
स्वातंत्र्य ध्वज फहरे लहरे ॥ ३ ॥
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